Tuesday, July 6, 2010

लक ने पहुंचाया है यहां तक: अर्जुन रामपाल

अपनी सफलता से आलोचकों का मुंह बंद कर देने वाले अर्जुन रामपाल का मानना है कि जिंदगी में लक फैक्टर बहुत मायने रखता है। अगर उनका लक साथ
नहीं देता, तो आज वह एक्टर की बजाय बैंकर होते। पिछले दिनों अर्जुन ने हमसे बातचीत की:

प्रकाश झा की फिल्म 'राजनीति' में अर्जुन रामपाल ने मंजे हुए कलाकारों के बीच अपनी मौजूदगी का बखूबी अहसास करवाया। बेशक इससे वह बेहद उत्साहित हैं कि फिल्म में उनके रोल की तारीफ न सिर्फ दर्शकों ने, बल्कि क्रिटिक्स ने भी की। वैसे, अपनी इस परफॉर्मेंस से मॉडल से ऐक्टर बने अर्जुन ने उन लोगों को करारा जवाब दिया है, जो अभी तक सफलता व अभिनय को लेकर उनकी टांग







खींचते आए थे। वैसे, 'राजनीति' से पहले अर्जुन को 'रॉक ऑन' में बेहतरीन ऐक्टिंग के लिए काफी तारीफ मिल चुकी है।

अर्जुन का लक
बिल्कुल, मैं लक में विश्वास करता हूं, क्योंकि जिंदगी में यह काफी महत्वपूर्ण होता है। डिजाइनर रोहित बल ने जब मुझे पहली बार देखा, तो उन्होंने मुझे पहला मॉडलिंग असाइनमेंट दिया। मेरा मानना है कि वह मेरा लक ही था। अगर मैं उस समय मैं वहां नहीं गया होता, तो आज शायद एक्टर की बजाय मैं एक बैंकर होता। दरअसल, उस वक्त मैं इंटरनैशनल बैंकिंग पढ़ रहा था।

सिंगल हीरो
जब हम लोग सिनेमा को आगे ले जाने की बात करते हैं, तो मुझे लगता है कि हमें बातें करने की बजाय उसका हिस्सा बनना चाहिए। मुझे अगर बतौर सिंगल हीरो अच्छा रोल करने का मौका मिले, तो मैं वह करूंगा। इसी तरह अगर मुझे मल्टी स्टारर फिल्म में बेहतर रोल करने का मौका मिले, तो मैं वह भी करूंगा। लेकिन अगर मल्टीस्टारर या सिंगल हीरो वाली फिल्म दोनों में से किसी में भी मेरा रोल सिर्फ कामचलाऊ है, तो मैं उसे साइन नहीं करूंगा। किसी फिल्म में काम करने से पहले आपको उसकी स्टोरी पर विश्वास होना चाहिए और मैं उन्हीं फिल्मों में काम करता हूं, जिन पर मुझे विश्वास होता है।

मनी या सक्सेस
आपका काम सबसे महत्वपूर्ण है। बाकी सब चीजें उसके बाद ही आती हैं। अगर आपका काम सही नहीं है, लेकिन उससे आपको पैसा अच्छा मिल रहा है, तो आप अपनी बाकी की सारी जिंदगी बुरे काम के साथ ही बिता देंगे। मेरे ख्याल से काम से ही पैसा कमाया जाता है। अगर आप मेहनत से काम करते हैं, तो पैसा अपने आप आपके पास आ जाएगा।

ओवरसीज प्रीमियर
हम लोग हांगकांग, दुबई और मस्कट गए थे। हमने 'राजनीति' का प्रीमियर हांगकांग में किया। मेरा मानना है कि जब आप फिल्म बना रहे हों, तभी उसके बारे में लोगों को पता लग जाना चाहिए। इससे लोग पहले से ही उसे लेकर उत्साहित रहेंगे। आखिरकार मैंने महसूस किया है कि लैंग्वेज कोई प्रॉब्लम नहीं है और 'राजनीति' यह बात साबित कर दी। मेरे ख्याल से अगर आपके इमोशंस ठीक हैं, तो लोग कहीं भी उसे एंजॉय करते हैं। जाहिर है कि विदेशों में जाकर प्रीमियर करने का अपना ही अलग चार्म और फायदा होता है।

वी आर फैमिली
'राजनीति' एक इमोशनल फिल्म है और मुझे इसका हिस्सा बनने पर गर्व है। मुझे फिल्म की स्क्रिप्ट वाकई अच्छी लगी। यह फिल्म मेरे बेहद करीब है।

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