Tuesday, July 6, 2010

13 साल की उम्र में टीचर से हुआ था प्यार : कंगना

कंगना राणावत बोल्ड और बिंदास हैं। उनका कहना है कि वह हमेशा से ऐसी ही थीं। कंगना के करियर के बारे में तो आपने

बहुत पढ़ा हो
गा, लेकिन आज जानिए उनकी जिंदगी से जुड़े
दूसरे अनछुए पहलुओं के बारे में:

आपको पहली बार प्यार कब हुआ?
उस वक्त मैं 13 साल की थी। और वह मेरे इंग्लिश के टीचर थे, जो काफी हैंडसम थे। उसी वक्त मुझे अपनी सेक्सुएलिटी के बारे में पता चला था। हम लोग एक-दूसरे के साथ काफी कंफर्टेबल थे, क्योंकि वह तब से मेरे टीचर थे, जब मैं 8 या 9 साल की रही होऊंगी। 13 साल की उम्र में भी जब वह मुझे बेटा कहकर बुलाते, तो बुरा लगता था। वह एक ब्यूटिफुल रोमांस था, क्योंकि मैं रोमांस कर रही थी और वह मुझे पढ़ाना चाहते थे।

तो आप बचपन से ही...?
नहीं। मैं बहुत प्यारी बच्ची थी, जो अपना अंगूठा पीती थी। दूसरे बच्चे मेरे साथ नहीं खेलते थे, इसलिए मैं एक कोने में बैठी रहती थी। दरअसल, मैं हमेशा ड्रीम वर्ल्ड में खोई रहती थी। मैं हमेशा टीवी पर देखे अलादीन या स्नो वाइट जैसे शोज के बारे में सोचती रहती और उस दुनिया में जाना चाहती थी। मेरे पापा को मेरा अंगूठा पीना कतई पसंद नहीं था। कई बार वह इस बात पर मेरे थप्पड़ मार देते या मेरी उंगली मोड़ देते, तब मैं रोती थी।

यानी पैरंट्स आपके लिए काफी कठोर थे?
मैं कभी शैतान या अपनी ममी को परेशान करने वाली बच्ची नहीं रही। अगर आप मेरे पैरंट्स से पूछेंगे, तो वे कहेंगे कि मैं बेहद प्यारी, शांत और डरने वाली बच्ची थी। अगर वे मुझे कहीं बैठने के लिए कह देते, तो पांच घंटे बाद भी मैं वहीं बैठी मिलती थी।

क्या आपको काफी रोक-टोक वाली जिंदगी बितानी पड़ी?
हां, मेरे साथ अक्सर ऐसा होता था। मुझे शाम 6 बजे के बाद घर से बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी। लेकिन मैं रात को देर से आने की कोशिश करती थी। तब मेरे पैरंट्स कहते, 'अंधेरा हो गया है। तुम आज फिर लेट आई।' तब मैं सिर्फ हां कहती। धीरे-धीरे मैं ऐसी लड़की बन गई, जो किसी की नहीं सुनती थी। मेरे पापा मेरी ड्रेसेज को लेकर काफी अपसेट रहते थे। मैं नहीं जानती कि उस वक्त मैं क्या साबित करना चाहती थी। अब जब मैं घर जाती हूं, तो सलवार कमीज ही पहनकर जाती हूं। (हंसते हुए) अब मैं सोचती हूं कि मैं उन्हें टॉर्चर क्यों कर रही थी।

एक छोटे से कस्बे में रहना, मुंबई के मुकाबले कैसा एक्सपीरियंस था?
ये दोनों बिल्कुल अलग दुनिया हैं। मुंबई की दुनिया पूरी तरह झूठ है, जबकि वहां की दुनिया सच्ची थी। मनाली में लोग जानवरों के साथ रहते हैं। वे उन्हें चारा खिलाते हैं और उनकी सफाई भी करते हैं। वहां पर आपको नेचर के करीब रहने का मौका मिलता है। दूसरी ओर, यहां पर आपको कार, रोड और बिल्डिंग से डील करना पड़ता है।

और दिल्ली का एक्सपीरियंस?
दरअसल, दिल्ली मैं अपनी छुट्टियां बिताने गई थी, लेकिन वहां जाकर मैंने किसी कॉलेज में एडमिशन का प्लान बनाया। उसके बाद मेरी कुछ ऐसे लोगों से मुलाकात हुई, जिनकी वजह से मैं थियेटर में आ गई। मैं उस वक्त को कभी भुला नहीं सकती।

आप मुंबई कैसे पहुंच गईं?
मेरी एजेंसी ने मुझे मुंबई भेजा था। मैंने उनसे यह भी नहीं पूछा कि मुझे मुंबई क्यों भेजा जा रहा है और वहां पहुंच कर मुझे क्या करना होगा। मुझे लगा कि दिल्ली के बाद हर कोई मुंबई आता है।

बचपन में आप क्या सपने देखती थीं?
मैं बचपन से ही अपने पैरंट्स से कहती थी कि मैं बहुत फेमस होना चाहती हूं। वे मेरी इस बात से नाराज भी हो जाते, लेकिन मैंने मन में पक्का इरादा कर रखा था।

शुरुआत में ऑडिशंस में रिजेक्ट होने के बाद कैसा लगा? क्या आपका कॉन्फिडेंस नहीं हिला?
बिल्कुल, मेरे कॉन्फिडेंस को झटका लगा। उस वक्त मुझे काफी इनसिक्युरिटी फील होती थी। खैर, मुझे 'गैंगस्टर' मिली। मैंने तब तक मुश्किल से 10 फिल्में देखी थी, इसलिए मुझे ए ग्रेड और बी ग्रेड फिल्मों का कॉन्सेप्ट नहीं पता था। कोई मेरे पास आकर कहता कि वह मुझे फिल्म में साइन करना चाहता है, तो मैं फिल्म साइन कर लिया करती।

और फिल्म करते करते आप अकेली पड़ गईं?
अकेलापन मेरे लिए कभी परेशानी नहीं रहा। जब भी मैं अकेली होती, तो कुछ ऐसा करती, जिससे दिल खुश हो जाता। मेरी प्रॉब्लम यह थी कि मेरे आसपास बहुत से लोग थे और वे कभी मुझे अकेला नहीं छोड़ते। ऐक्ट्रेस बनने से पहले मैं दूसरे लोगों के साथ खूब ऑडिशंस देने जाती और कॉफी एंजॉय करती थी।

क्या आपको लगता है कि यहां आप कुछ गलत रिलेशनशिप में पड़ गई थीं?
जब आप किसी रिलेशनशिप की शुरुआत करते हैं, तो आपकी नजर में वह गलत नहीं होता। मैं अभी तक सिर्फ दो रिलेशनशिप में रही हूं और दोनों ही मेरे लिए बेहद खूबसूरत रहे। मुझे अभी जिंदगी में काफी कुछ सीखना है। मैं एक परफेक्ट इंसान नहीं हूं, क्योंकि कोई भी परफेक्ट नहीं होता।


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